कुल्लू की सैंज घाटी में बादल फटने से मचा हड़कंप, जीवा नाले में सैलाब से तबाही का खतरा बढ़ा

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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले की शांत और सुरम्य सैंज घाटी उस समय दहशत में आ गई जब क्षेत्र में अचानक बादल फटने की घटना सामने आई। इस प्राकृतिक आपदा ने ना सिर्फ स्थानीय जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया, बल्कि जीवा नाले में तेज़ बहाव के कारण आसपास के गांवों में भी भय और संकट का माहौल बना हुआ है। घटना के बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया और देखते ही देखते नाले का पानी आसपास के खेतों, रास्तों और रिहायशी इलाकों की ओर बहने लगा, जिससे कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों की ओर भागना पड़ा।

स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन सैंज घाटी का दुर्गम और पहाड़ी भूगोल राहत कार्यों में बाधा बन रहा है। वहीं, क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस तरह की आपदाएं अब आम होती जा रही हैं, जिससे लोगों में निरंतर भय और असुरक्षा की भावना बनी हुई है। पर्यावरण विशेषज्ञों और मौसम विभाग की रिपोर्ट्स के अनुसार, बदलते मौसमी पैटर्न और जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों में इस तरह की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बादल फटने की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि कई गांवों में लोगों को भूकंप का भ्रम हुआ। अचानक आई इस आपदा ने पशुधन, फसलों और ग्रामीण अवसंरचना को भी नुकसान पहुंचाया है, जिसकी सटीक जानकारी जुटाने के लिए प्रशासनिक टीमें मौके पर भेजी गई हैं। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने इलाके में अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों को नदियों, नालों और झरनों से दूर रहने की सलाह दी है।

स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी राहत कार्यों में हाथ बंटाया है और प्रभावित परिवारों को भोजन, पानी और अस्थायी आश्रय की सुविधा देने के प्रयास जारी हैं। कई ग्रामीणों ने शिकायत की है कि उनके पास इस प्रकार की आपदा से निपटने के लिए न तो कोई पूर्व चेतावनी प्रणाली है, न ही कोई सरकारी सहायता समय पर पहुंचती है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं में जनहानि की आशंका और अधिक हो सकती है।

सैंज घाटी का यह हादसा एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या पर्वतीय क्षेत्रों के लिए आपदा प्रबंधन योजनाएं वास्तव में ज़मीनी स्तर पर प्रभावी हैं या नहीं। समय रहते वैज्ञानिक और ठोस रणनीति अपनाकर अगर पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास की दिशा में प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले समय में हिमाचल जैसे राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा और बढ़ेगा।

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यह एक वेब जनित समाचार वेब स्टोरी है।

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