हरियाणा सरकार की ओर से गुरुग्राम को आधुनिक शहरी अधोसंरचना से सुसज्जित करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसी क्रम में अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त (राजस्व) डॉ. सुमिता मिश्रा ने हाल ही में गुरुग्राम के लघु सचिवालय परिसर में जिले से जुड़ी प्रमुख विकास परियोजनाओं की विस्तृत समीक्षा की। अपने दौरे के दौरान उन्होंने न केवल प्रगति की गहराई से पड़ताल की, बल्कि अधिकारियों को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश भी दिए।
डॉ. मिश्रा ने विशेष रूप से प्रशासनिक टॉवर, न्यायिक अधिकारियों के आवास, टॉवर ऑफ जस्टिस, राजस्व विभाग के आवासीय परिसर, सोहना के एसडीओ (सिविल) कार्यालय व आवासीय ढांचे तथा आरआरटीएस जैसे बड़े और दूरगामी असर डालने वाले प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की। उन्होंने परियोजनाओं के स्थान, डिजाइन, पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों की भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर समावेशी विकास की सोच को प्राथमिकता देने की बात कही।
इस समीक्षा बैठक के दौरान एडीसी हितेश कुमार मीणा ने सभी प्रगति रिपोर्टों और योजनाओं की जानकारी विस्तारपूर्वक साझा की। लघु सचिवालय परिसर में प्रस्तावित एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक-2 की संभावनाओं को लेकर विशेष रुचि लेते हुए डॉ. मिश्रा ने अधिकारियों से कहा कि यह ढांचा केवल वर्तमान ज़रूरतों को नहीं बल्कि गुरुग्राम की भविष्य की जनसंख्या वृद्धि को भी संबोधित करने में सक्षम होना चाहिए।
सोहना में निर्माणाधीन एसडीएम कार्यालय और कर्मचारियों के लिए तैयार किए जा रहे आवासीय परिसरों पर भी डॉ. मिश्रा का विशेष ध्यान रहा। पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन चरणदीप सिंह राणा ने पीपीटी के माध्यम से इन परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति से अवगत करवाया और बताया कि निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से प्रगति पर है। इन दोनों परिसरों का निर्माण कार्य वर्ष 2026 के मध्य तक पूर्ण होने की संभावना है।
वहीं न्यायिक सेवाओं की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने वाले ‘टॉवर ऑफ जस्टिस’ की समीक्षा करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इसके तीन मुख्य घटकों – मुख्य भवन, एस्केलेटर ब्लॉक और मल्टीलेवल बेसमेंट पार्किंग पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की दक्षता के लिए इस परियोजना को शीघ्रता से पूर्ण किया जाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि संबंधित विभाग और जिला स्तरीय समन्वय समिति इस परियोजना की निगरानी को प्राथमिकता दें।
समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना को लेकर भी गहन मंथन हुआ। डॉ. मिश्रा ने सराय काले खां से मानेसर होते हुए धारूहेड़ा तक के प्रस्तावित रूट की समीक्षा करते हुए कहा कि इस परियोजना से न केवल गुरुग्राम और रेवाड़ी की यातायात व्यवस्था को नया आयाम मिलेगा, बल्कि यात्री सुविधाओं में भी क्रांतिकारी बदलाव आएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि आरआरटीएस स्टेशनों पर समुचित पार्किंग स्पेस, ऑटो स्टैंड, स्ट्रीट वेंडर्स और आवश्यक नागरिक सुविधाओं की ठोस व्यवस्था की जाए। साथ ही पार्किंग स्थानों को सोलर पैनल शेड्स से कवर करने की बात कहते हुए उन्होंने ऊर्जा संरक्षण के दृष्टिकोण से इसे एक सराहनीय पहल बताया।
इस बैठक में गुरुग्राम के एसडीएम परमजीत चहल, सीटीएम रविंद्र कुमार, आरआरटीएस परियोजना से जुड़े अधिकारी कमलेश कुमार गुप्ता, डीआरओ नरेश जोवल, एक्सईएन (इलेक्ट्रिकल) नवीन कुमार सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने सभी परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति और भविष्य की योजना को लेकर जानकारी साझा की।
गुरुग्राम की बदलती तस्वीर और लगातार उन्नत हो रही प्रशासनिक एवं न्यायिक अधोसंरचना यह संकेत दे रही है कि हरियाणा सरकार आने वाले वर्षों में इस शहर को एक मॉडल अर्बन सेंटर के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। डॉ. सुमिता मिश्रा के नेतृत्व में की गई यह समीक्षा न केवल विकास की गति को सुनिश्चित करेगी, बल्कि नागरिकों के जीवन स्तर में व्यापक सुधार की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगी।
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