माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर के गर्भगृह में पुजारी और सुरक्षा कर्मी के बीच हाथापाई, श्रद्धालु हुए स्तब्ध

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हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले स्थित उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में सोमवार को एक बेहद शर्मनाक और चिंताजनक घटना घटित हुई, जिसने श्रद्धालुओं के मन में आस्था के स्थान पर असमंजस और दुख का भाव भर दिया। मंदिर के पवित्र गर्भगृह में ही पुजारी और सुरक्षा कर्मी के बीच तीखी बहस हाथापाई में तब्दील हो गई। यह पूरी घटना मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई है और अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल होने की आशंका है।

यह घटना उस समय घटी जब माता रानी के दरबार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक हो रहे थे और मंदिर परिसर में भारी भीड़ थी। जानकारी के अनुसार गर्भगृह में प्रवेश और व्यवस्था को लेकर पुजारी और तैनात सुरक्षा कर्मी के बीच किसी मुद्दे को लेकर कहासुनी हो गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को धक्का देना शुरू कर दिया और देखते ही देखते बात शारीरिक झड़प तक पहुंच गई। माता के दरबार जैसे पवित्र स्थल पर इस प्रकार की घटना ने न केवल श्रद्धालुओं को शर्मिंदा किया बल्कि मंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना की सूचना मिलते ही ऊना के उपायुक्त एवं मंदिर न्यास के आयुक्त जतिन लाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम अंब को विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्थलों पर इस प्रकार का व्यवहार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह शक्तिपीठ जहां लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर हर वर्ष पहुंचते हैं, वहां इस तरह की घटनाएं न केवल मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं बल्कि श्रद्धा के भाव को भी आहत करती हैं।

स्थानीय प्रशासन अब मंदिर परिसर की सुरक्षा व्यवस्था और आंतरिक संचालन की प्रक्रिया की समीक्षा करेगा, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों। श्रद्धालुओं ने भी प्रशासन से मांग की है कि मंदिर जैसे पवित्र स्थलों की गरिमा को बनाये रखने हेतु पुजारियों और सुरक्षाकर्मियों को आपसी समन्वय और अनुशासन की शिक्षा दी जाए।

हिमाचल प्रदेश सरकार के धार्मिक पर्यटन विकास अभियान में माता चिंतपूर्णी मंदिर की एक विशेष भूमिका है और यहां की प्रतिष्ठा पर इस घटना से जो धब्बा लगा है, उसे मिटाने के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है। यह घटना मंदिर प्रबंधन और प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है कि व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त करने के साथ-साथ संवेदनशील स्थलों पर सौहार्द और अनुशासन को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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