सियाचिन में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए सूबेदार बलदेव सिंह को हरियाणा के झोंपड़ा गांव में दी गई अश्रुपूरित विदाई

Date:

Share post:

हरियाणा के सिरसा जिले के गांव झोंपड़ा की मिट्टी आज एक वीर सपूत को हमेशा के लिए अलविदा कह चुकी है। भारतीय सेना के सूबेदार बलदेव सिंह, जो देश की सबसे कठिन और खतरनाक पोस्टिंग मानी जाने वाली सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे, देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। सोमवार को उनका पार्थिव शरीर जब पैतृक गांव पहुंचा, तो पूरे इलाके में गमगीन माहौल था। चारों ओर एक ही स्वर गूंज रहा था—‘शहीद बलदेव सिंह अमर रहें’ और ‘भारत माता की जय’। यह केवल एक अंतिम विदाई नहीं थी, यह उस वीरता, समर्पण और बलिदान का सम्मान था जो किसी भी सैनिक को उसकी मातृभूमि के लिए अंतिम सांस तक लड़ने के लिए प्रेरित करता है।

बलदेव सिंह हाल ही में सूबेदार के पद पर पदोन्नत हुए थे और एक साल से लद्दाख के दुर्गम इलाकों में तैनात थे। सियाचिन, जहां ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम होती है और मौसम का मिज़ाज कभी भी जानलेवा बन सकता है, वहां ड्यूटी के दौरान उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई। तमाम प्रयासों के बावजूद वे अपने प्राण नहीं बचा सके। जिस मिट्टी से वे निकले थे, उसी में आज वे लौटे—लेकिन एक शहीद के रूप में, एक गौरवशाली कहानी बनकर।

सोमवार सुबह जब उनकी पार्थिव देह लद्दाख से दिल्ली लाई गई और वहां से सड़क मार्ग से सिरसा स्थित उनके आवास मीरपुर पहुंची, तब से ही उनके घर पर सैकड़ों की संख्या में रिश्तेदार, परिचित, और स्थानीय लोग उमड़ पड़े। उनके घर के आंगन से लेकर गांव की गलियों तक एक ही बात हो रही थी—बलदेव सिंह की वीरता, उनकी मुस्कान, और उनके परिवार के लिए अब सूनी हो चुकी वो दुनिया।

गांव झोंपड़ा की शिवपुरी में उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस अंतिम यात्रा में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी, जवान, जिला प्रशासन के प्रतिनिधि, स्थानीय नेताओं और हज़ारों ग्रामीणों ने भाग लिया। सिरसा प्रशासन की ओर से एसडीएम राजेन्द्र कुमार और तहसीलदार भुवनेश ने पुष्प अर्पित कर उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। उनके परिवार की आंखों में आंसू और चेहरे पर गर्व एक साथ था—एक ऐसा मिश्रण जो केवल शहीदों के परिवारों में ही दिखाई देता है।

बलदेव सिंह जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स के अनुशासन और गौरव से जुड़े रहे और उनकी पहचान हमेशा एक अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ और निडर सैनिक की रही। उनके जीवन का हर पड़ाव देशभक्ति की मिसाल था। सेना के प्रति उनका समर्पण ऐसा था कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वे कभी पीछे नहीं हटे।

उनकी पत्नी और परिवारजन उस क्षण को आज भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं जब उन्हें सुबह-सुबह बलदेव सिंह के शहीद होने की सूचना मिली थी। पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई थी। लेकिन साथ ही एक अदृश्य गर्व भी था—कि उनका बेटा, भाई, पति और पिता भारत मां के लिए शहीद हुआ।

यह कहानी सिर्फ सूबेदार बलदेव सिंह की नहीं है। यह उस भावना की कहानी है जो हर भारतीय सैनिक के दिल में बसती है—देश के लिए जीना और मरना। बलदेव सिंह की शहादत हमें यह याद दिलाती है कि देश की सीमाएं सिर्फ नक्शे पर नहीं होतीं, वे उन कंधों पर टिकी होती हैं जो हर चुनौती का सामना करते हुए अडिग रहते हैं। उनके जाने से भले ही एक खालीपन रह गया हो, लेकिन उन्होंने जो मिसाल कायम की है, वह सदियों तक प्रेरणा देती रहेगी।

#SubedarBaldevSingh #SiachenMartyr #HaryanaHero #IndianArmy #NationSalutes #MilitaryHonour

यह एक वेब जनरेटेड न्यूज़ वेब स्टोरी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img

Related articles

प्राकृतिक खेती उप-मंडल बनने से पांगी घाटी के किसानों की आर्थिकी को मिलेगा सम्बल

मुख्यमंत्री की घोषणा से पांगी घाटी के किसान-बागवान में खुशी की लहर चन्द्रभागा नदी के किनारे बसी पांगी घाटी...

Rahul Gandhi Condemns Pahalgam Terror Attack, Calls for National Unity to Defeat Terrorism

Congress leader and Member of Parliament, Rahul Gandhi, condemned the deadly terror attack in Pahalgam, Jammu & Kashmir,...

शिमला राजभवन की ऐतिहासिक मेज़ से हटाया गया पाकिस्तान का झंडा

शिमला के राजभवन में रखी उस ऐतिहासिक मेज़ से शुक्रवार सुबह पाकिस्तान का झंडा हटा दिया गया, जिस...

अंतरिक्ष और शिक्षा सुधारों के पुरोधा के. कस्तूरीरंगन का निधन, देश ने एक महान वैज्ञानिक को खोया

भारत ने आज एक ऐसे महान वैज्ञानिक को खो दिया जिसने न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में...