अमृतसर से पंजाब की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। पंजाब भाजपा के उपाध्यक्ष फतेह जंग सिंह बाजवा ने सुखबीर सिंह बादल को अकाली दल की प्रधानगी में दोबारा लाने को लेकर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने इसे “नई बोतल में पुरानी शराब” करार देते हुए कहा कि अकाली दल ने जनता की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश की है। बाजवा के अनुसार, यह कदम एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है, जिसमें सुखबीर बादल ने पहले इस्तीफ़ा दिया और फिर नाटकीय ढंग से वापसी की, ताकि जनता को मूर्ख बनाया जा सके।
बाजवा ने आरोप लगाया कि सुखबीर बादल के नेतृत्व में 100 साल पुराने अकाली दल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने बादल से एसजीपीसी में दखलअंदाजी बंद करने की अपील की और उम्मीद जताई कि वे अपनी पिछली गलतियों से सीखकर अकाली दल को एक मजबूत क्षेत्रीय दल के रूप में स्थापित करेंगे।
यह घटनाक्रम पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहाँ अकाली दल अपनी खोई हुई साख को वापस पाने की कोशिश कर रहा है। सुखबीर बादल की वापसी को लेकर जनता की प्रतिक्रिया मिश्रित है। कुछ लोग इसे अकाली दल के पुनरुत्थान की शुरुआत मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे सिर्फ एक राजनीतिक नाटक के रूप में देख रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुखबीर बादल अपने दूसरे कार्यकाल में अकाली दल को किस दिशा में ले जाते हैं और क्या वे बाजवा की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं या नहीं। पंजाब की जनता की निगाहें इस राजनीतिक घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं, जो आने वाले समय में राज्य की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकता है।