हीटवेव: भारत के लिए बढ़ता हुआ सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट

Date:

Share post:

भारत में हीटवेव अब केवल मौसमी असुविधा नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। वर्ष 2024 में हीटवेव की आवृत्ति और तीव्रता रिकॉर्ड स्तर पर पहुँची, विशेषकर उत्तर-पश्चिम भारत में। अत्यधिक तापमान के कारण डिहाईड्रेशन, हीट स्ट्रोक, श्वसन व हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जिससे बुजुर्गों, बच्चों, निम्न आय वर्ग और बाहरी श्रमिकों पर असमान रूप से प्रभाव पड़ा है। शहरी ताप द्वीप प्रभाव, जल संकट, बिजली कटौती और कार्य उत्पादकता में गिरावट जैसे मुद्दे स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। श्रमिकों और महिलाओं को भारी गर्मी में काम करना पड़ता है जिससे स्वास्थ्य और आजीविका दोनों पर असर पड़ता है।

-डॉo सत्यवान सौरभ

गर्मी का मौसम भारत में नया नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी प्रकृति खतरनाक होती जा रही है। कभी मौसमी बदलाव माने जाने वाली हीटवेव अब हमारे शहरों और गांवों में एक नियमित आपदा का रूप ले चुकी है। वर्ष 2024 में उत्तर-पश्चिम भारत में 181 हीटवेव दिन दर्ज किए गए — जो अब तक का सबसे ऊंचा आँकड़ा है। यह संख्या केवल मौसम के आंकड़े नहीं हैं; यह जीवन, स्वास्थ्य और आजीविका पर मंडराते खतरे की स्पष्ट चेतावनी है। हीटवेव, सामान्य तापमान सीमा से अधिक अत्यधिक गर्मी की लंबी अवधि है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में और भी भीषण हो गई है। वर्ष 2024 में भारत में कई राज्यों में 554 हीटवेव के दिन दर्ज किए जिसमें अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। इस वृद्धि ने गर्मी से संबंधित बीमारियों को बढ़ा दिया है, जो बुजुर्गों, मजदूरों और कम आय वाले समुदायों को असमान रूप से प्रभावित कर रहा है।

हीटवेव और स्वास्थ्य: छाया की कमी, संकट की अधिकता

अत्यधिक गर्मी का सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। डिहाईड्रेशन, हीट-स्ट्रोक, हृदयगति का तेज़ हो जाना, और सांस लेने में तकलीफ — ये सब हीटवेव के साथ आने वाली आम समस्याएं हैं। बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। झारखंड में इस साल बाल चिकित्सा वार्ड में डिहाईड्रेशन के मामलों में असामान्य वृद्धि दर्ज की गई। तेज शहरीकरण और हरियाली की कटौती ने शहरों को ताप द्वीप में बदल दिया है। दिल्ली जैसे शहरों में रात का तापमान भी सामान्य से 4-5 डिग्री अधिक बना रहता है। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के लिए यह स्थिति कष्टदायक से जानलेवा तक हो सकती है।

हीटवेव और जीवन व्यवस्था पर असर

गर्मी के कारण स्कूल बंद होते हैं, पानी की सप्लाई बाधित होती है, बिजली कटौती आम हो जाती है। गरीब और मेहनतकश वर्ग, जिनके पास न ठंडी जगह होती है, न संसाधन, सबसे अधिक संकट में होते हैं। हीटवेव केवल सेहत का नहीं, आर्थिक उत्पादन का भी सवाल बन गई है। निर्माण श्रमिक, किसान और सड़क विक्रेता जैसी बाहरी कामकाज से जुड़े लोगों की उत्पादकता गिर रही है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, हीटवेव के कारण भारत में कार्य घंटों में 2.2% की गिरावट आ सकती है, जो GDP में 2.8% तक की हानि बन सकती है।

सब पर असर एक जैसा नहीं होता

हीटवेव की मार सभी पर एक समान नहीं होती। जिनके पास एयर कंडीशनर, स्वच्छ जल और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं हैं, वे अधिक सुभेद्य होते हैं। ग्रामीण महिलाएं जो जल लाने या खेतों में काम करती हैं, उन्हें दोगुना खतरा होता है। शहरों के गरीब बस्तियों में रहने वाले परिवारों के लिए हीटवेव असमानता का सबसे तेज़ रूप बन जाती है। हीटवेव से लड़ाई सिर्फ एक मौसमीय अलर्ट से नहीं लड़ी जा सकती। इसके लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली, शहरी नियोजन, स्वास्थ्य सेवा का विस्तार और सामुदायिक भागीदारी जरूरी है। अहमदाबाद, सूरत और भुवनेश्वर जैसे शहरों ने हीट एक्शन प्लान अपनाकर यह दिखाया है कि नियोजित प्रयासों से मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। सूरत में ‘कूल रूफ’ योजना ने झुग्गियों में तापमान को 3–4 डिग्री कम किया। भुवनेश्वर में भीड़ वाले बाज़ारों में पेयजल स्टॉल और छाया ढांचे लगाए गए।

हीट गवर्नेंस: अब ज़रूरत है कानूनी और नीतिगत ढाँचे की

सटीक ताप पूर्वानुमान और सार्वजनिक चेतावनियाँ स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में मदद करती हैं। अहमदाबाद हीट एक्शन प्लान (2013) ने कलर–कोडेड अलर्ट पेश किए जिससे निवासियों और अस्पतालों को अत्यधिक तापमान वाली स्थिति के लिए तैयार होने में मदद मिली। अस्पतालों में कूलिंग स्पेस बनाना, स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करना और पर्याप्त चिकित्सा आपूर्ति सुनिश्चित करना गर्मी से संबंधित मृत्यु दर को कम कर सकता है। ठाणे में हीटस्ट्रोक के मामलों पर नजर रखने और तत्काल चिकित्सा मध्यक्षेप प्रदान करने के लिए रियलटाइम निगरानी शामिल है । कूलिंग सेन्टर्स बनाना, ओरस पैकेट वितरित करना, और जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना, निम्न आय वाले समुदायों की सुरक्षा में मदद करता है। भुवनेश्वर में गर्मी से होने वाली थकावट को रोकने के लिए भीड़भाड़ वाले बाजारों में अस्थायी छाया संरचनाएँ और जलयोजन स्टेशन स्थापित किए गए थे। हरित आवरण का विस्तार, रिफ्लेक्टिव रूफ्स को बढ़ावा देना, और जलाशयों का निर्माण करके शहरी तापमान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सूरत ने झुग्गी-झोपड़ियों में कूल-रूफ पहल शुरू की, जिससे घर के अंदर का तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस कम हो गया, जिससे हजारों निवासियों को लाभ हुआ।
जिस तरह दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण के लिए GRAP (Graded Response Action Plan) लागू होता है, वैसे ही हीटवेव के लिए भी स्वचालित, डेटा-आधारित नीति ढाँचे की जरूरत है।

भविष्य की गर्मी से मुकाबला आज की नीति से

हीटवेव केवल गर्मी नहीं है, यह एक चेतावनी है — हमारे शहरों की संरचना, हमारी आर्थिक नीतियों और हमारे स्वास्थ्य सिस्टम की परीक्षा। भारत को अब हीटवेव को ‘प्राकृतिक आपदा’ मानकर, उसके अनुसार तैयारी करनी होगी। जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की चिंता नहीं है — यह वर्तमान की हकीकत है। और इस हकीकत से लड़ने के लिए हमें चाहिए नीति, नवाचार और न्याय। तभी हम उस गर्म भविष्य को थोड़ा और सहनीय बना सकेंगे, और शायद थोड़ा ठंडा भी। हीटवेव के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए हीट हेल्थ गवर्नेंस को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण है। एक सक्रिय दृष्टिकोण, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, शहरी ताप कार्रवाई योजनाओं, प्रत्यास्थ बुनियादी ढाँचे और सामुदायिक भागीदारी को एकीकृत करके जीवन की रक्षा की जा सकती है। जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्मी बढ़ रही है, इसलिए सहयोगात्मक नीति निर्माण, वैज्ञानिक नवाचार और संधारणीय शहरी नियोजन के माध्यम से दीर्घकालिक प्रत्यास्थता का निर्माण किया जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img

Related articles

Chandigarh Police Bust Inter-State Fake Currency Racket, Seize Counterfeit Notes Worth Over ₹7.17 Lakh

In a major crackdown on organised financial crime, Chandigarh Police have unearthed a sophisticated inter-state fake currency racket...

हिसार में नर्सिंग कॉलेज विवाद गहराया, छात्राओं ने यौन व मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए

हरियाणा के हिसार जिले के नारनौंद थाना क्षेत्र स्थित खुशी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, कागसर में कथित अनियमितताओं और...

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अंबाला–कुरुक्षेत्र मार्ग पर गुरु के लंगर में की सेवा

अंबाला से कुरुक्षेत्र प्रस्थान के दौरान हाईवे पर लगे गुरु के लंगर में सेवा करने का अवसर मिलना...

₹500-Crore Central Budget Boost to Put Rakhigarhi on the Global Heritage Map: Haryana CM Nayab Singh Saini

Rakhigarhi, one of the world’s oldest known centres of the Indus–Saraswati civilisation, is set to receive unprecedented national...