जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई तेज हो गई है। गुरुवार रात दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग और पुलवामा जिलों में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो आतंकियों – आदिल हुसैन ठोकर और आसिफ शेख – के घरों को विस्फोट में तबाह कर दिया गया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इन दोनों आतंकियों के घरों के भीतर विस्फोटक सामग्री रखी गई थी, जिससे ये धमाके हुए।
इन दोनों का नाम हाल ही में हुए उस नरसंहार से जुड़ा है जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई। आदिल हुसैन ठोकर, अनंतनाग का निवासी है और मंगलवार को हुए पहलगाम हमले का प्रमुख आरोपी बताया जा रहा है, जबकि आसिफ शेख, पुलवामा जिले का निवासी, हमले की साजिश में शामिल बताया गया है।
गुरुवार को अनंतनाग पुलिस ने ठोकर समेत तीन आतंकियों के स्केच सार्वजनिक किए थे और लोगों से उनकी पहचान बताने की अपील की थी। इनमें से दो आतंकियों – हाशिम मूसा उर्फ सुलैमान और अली भाई उर्फ तल्हा भाई – की पहचान पाकिस्तान मूल के लश्कर आतंकियों के रूप में हुई है। पुलिस ने इन दोनों आतंकियों की जानकारी देने वाले को बीस लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा भी की है।
इन घटनाओं के बाद यह साफ संकेत है कि अब सुरक्षाबल आतंक के खिलाफ ‘नो टॉलरेंस’ नीति पर काम कर रहे हैं। आतंकियों के घरों को विस्फोट से उड़ा देना केवल एक चेतावनी मात्र नहीं, बल्कि यह उस नए और निर्णायक सुरक्षा दृष्टिकोण का हिस्सा है जिसमें आतंकी हमलों के सूत्रधारों को उनके ठिकानों में ही जवाब देने की नीति अपनाई जा रही है।
इस कार्रवाई का असर न केवल घाटी में सक्रिय आतंकियों पर होगा, बल्कि उन स्थानीय नेटवर्क्स और सहयोगियों पर भी सीधा संदेश जाएगा जो आतंकी संगठनों के लिए समर्थन का आधार बनते हैं। सुरक्षा एजेंसियां पहले ही हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकियों की तलाश में जुटी हुई हैं और उनकी धरपकड़ के लिए गुप्त सूचनाओं का उपयोग किया जा रहा है।
केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन पहले ही पहलगाम हमले को लेकर सख्त रुख अपना चुके हैं। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान पर सीधे तौर पर हमला में शामिल होने का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सबूत साझा किए हैं। इस बीच, सुरक्षाबलों की यह रणनीति उन स्थानीय आतंकियों और उनके परिवारों के प्रति भी स्पष्ट संदेश दे रही है कि अब सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि निर्णायक दंड का दौर शुरू हो चुका है।
घाटी में बदले हुए इस सुरक्षा दृष्टिकोण और आतंकी नेटवर्क के खिलाफ इस तरह के साहसिक कदम यह दर्शाते हैं कि अब आतंक को सिर्फ सीमा पर नहीं, घर के भीतर भी उसी तीव्रता से जवाब मिलेगा। यह कार्रवाई उन आम लोगों के मन में भी सुरक्षा का विश्वास जागृत करती है जो आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं।
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