हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील में स्थित खनियारा क्षेत्र की मनूणी खड्ड में बुधवार को आई अचानक बाढ़ ने एक बार फिर प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में कुल आठ मजदूर बाढ़ की चपेट में आ गए, जिनमें से दो के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि छह अब भी लापता हैं। गुरुवार को भी बचाव और राहत कार्य पूरे जोरों से जारी रहा, और जिला प्रशासन तथा आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने इसे युद्धस्तर पर अंजाम दिया।
इस भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद, क्षेत्र में दो टुकड़ियाँ राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की और एक होम गार्ड की टीम तैनात की गई हैं, जो लगातार लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं। जिला प्रशासन द्वारा तैनात अतिरिक्त बैकअप टुकड़ी को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है, जिसमें पुलिस और एसडीआरएफ के जवान शामिल हैं। वहीं, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की एक टीम भी मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में सहायता कर रही है।
बुधवार शाम को ही घटनास्थल पर जिला उपायुक्त हेमराज बैरवा, एएसपी अदिति सिंह, एसडीएम धर्मशाला, तहसीलदार और थाना प्रभारी खुद पहुंचे और मौके की स्थिति का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। सर्च ऑपरेशन की निगरानी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र (EOC) से की जा रही है, जिसकी जिम्मेदारी एडीएम कांगड़ा को सौंपी गई है। डीसी बैरवा ने बताया कि जिन छह मजदूरों की तलाश जारी है, उनमें दो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, एक-एक जम्मू-कश्मीर के डोडा और हिमाचल के चंबा जिले से हैं, जबकि तीन मजदूर कांगड़ा के नूरपुर के रहने वाले हैं।
घटनास्थल के समीप एक व्यक्ति को जंगल की ओर भागते हुए देखा गया था, जिसे बचाने के लिए एक विशेष खोज टीम रवाना कर दी गई है। प्रशासन ने पावर प्रोजेक्ट के तहत कार्यरत अन्य सभी कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया है, ताकि किसी अन्य जान-माल की क्षति से बचा जा सके। फिलहाल, तलाशी अभियान को सुबह छह बजे से और तेज कर दिया गया है।
डीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि हाईड्रो प्रोजेक्ट के पास खड्ड में बनाए गए डंपिंग क्षेत्र को लेकर बाद में एक विस्तृत जांच कराई जाएगी, लेकिन फिलहाल सारा ध्यान राहत और रेस्क्यू ऑपरेशन पर केंद्रित है। जिला प्रशासन ने तमाम संसाधनों और एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर संकट से निपटने की भरपूर कोशिश की है, ताकि लापता लोगों को जल्द से जल्द तलाशा जा सके।
प्रदेश में मानसून की दस्तक के साथ ही बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिससे पहाड़ी राज्यों की नाजुक पारिस्थितिकी पर एक बार फिर चिंता गहरा गई है। खनियारा की यह घटना एक चेतावनी है कि विकास कार्यों और जलप्रबंधन में अत्यधिक सतर्कता और पर्यावरणीय समझ जरूरी है।
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