मनीषा हत्याकांड: तीसरे पोस्टमॉर्टम के लिए AIIMS में उम्मीदें, प्रदेश की निगाहें नई रिपोर्ट पर

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चर्चित मनीषा हत्याकांड में अब तक अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। परिजनों की मांग पर दिल्ली AIIMS में तीसरी बार पोस्टमॉर्टम होगा। जानें क्यों परिवार और प्रदर्शनकारी लगातार निष्पक्ष जांच पर अड़े हैं।

हरियाणा के भिवानी जिले से जुड़े बहुचर्चित मनीषा हत्याकांड ने पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी हलचल पैदा कर दी है। इस दर्दनाक घटना के बाद जहां एक ओर न्याय की मांग तेज होती जा रही है, वहीं दूसरी ओर मृतका का अंतिम संस्कार अब तक नहीं हो सका है। परिजनों और स्थानीय प्रदर्शनकारियों का स्पष्ट कहना है कि जब तक उन्हें निष्पक्ष जांच और संतोषजनक रिपोर्ट नहीं मिलती, तब तक वे अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं होंगे।
इस मामले में अब तक दो बार पोस्टमॉर्टम हो चुका है—पहली बार भिवानी सिविल अस्पताल में और दूसरी बार रोहतक पीजीआई में। हालांकि, दोनों ही रिपोर्ट्स को लेकर परिजनों ने गहरी आपत्ति जताई और उन पर भरोसा नहीं जताया। उनका आरोप है कि रिपोर्ट्स में कई सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं मिले और मौत के असली कारण पर अब भी परदा पड़ा हुआ है। इसी कारण परिवार अब दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में तीसरी बार पोस्टमॉर्टम कराने पर अड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री ने पहले ही इस मामले की CBI जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। सरकार की ओर से लगातार यह आश्वासन दिया जा रहा है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और पूरी पारदर्शिता के साथ जांच होगी। लेकिन परिजन और प्रदर्शनकारी इस पर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं दिख रहे। उनका मानना है कि केवल AIIMS की मेडिकल टीम ही निष्पक्ष और वैज्ञानिक तरीके से असल सच्चाई सामने ला सकती है।
मनीषा की मौत ने हरियाणा और आसपास के राज्यों में गुस्से और असंतोष की लहर पैदा कर दी है। युवाओं और महिला संगठनों ने भी इसे न्याय की लड़ाई का प्रतीक मानते हुए आवाज बुलंद की है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं कि जब एक पीड़ित परिवार को बार-बार जांच की मांग करनी पड़ रही है, तो यह राज्य की न्याय व्यवस्था और मेडिकल पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
महिला सुरक्षा और न्याय के मुद्दे हमेशा से वैश्विक चिंता का विषय रहे हैं। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जब किसी महिला की संदिग्ध मौत को लेकर बार-बार पोस्टमॉर्टम कराने की मांग उठती है, तो यह न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में आता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मानवाधिकार मंच भी लंबे समय से भारत में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर निगाह बनाए हुए हैं। ऐसे में मनीषा हत्याकांड की पारदर्शी और निष्पक्ष जांच भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी।
अब पूरे प्रदेश और देश की निगाहें AIIMS में होने वाले तीसरे पोस्टमॉर्टम पर टिकी हुई हैं। यह रिपोर्ट केवल मनीषा की मौत की गुत्थी को सुलझाने में मदद नहीं करेगी, बल्कि न्याय व्यवस्था में लोगों का भरोसा कायम करने के लिए भी अहम होगी। यदि रिपोर्ट स्पष्ट तथ्यों को सामने लाती है तो यह पीड़ित परिवार और समाज के लिए एक बड़ी राहत होगी।
मनीषा हत्याकांड केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह न्याय और पारदर्शिता की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। तीसरे पोस्टमॉर्टम से क्या सच्चाई सामने आएगी, इस पर पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी हैं।

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