हरियाणा कैडर के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार द्वारा आत्महत्या करने के गंभीर मामले में नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट्स (NCSC) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए निर्णायक पहल की है। आयोग ने चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
आयोग ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उल्लेख करते हुए साफ कर दिया है कि वह इस मामले की स्वतंत्र जांच और पूछताछ करेगा। NCSC ने अपने नोटिस में प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें सभी आरोपी अधिकारियों के नाम, दर्ज एफआईआर की संख्या, तारीख, धाराएं, आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी और यदि पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा दिया गया है तो उसका ब्योरा भी शामिल किया जाए।
गौरतलब है कि आईपीएस वाई. पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को अपने चंडीगढ़ स्थित आवास पर आत्महत्या कर ली थी। घटना से एक दिन पहले उन्होंने अपनी वसीयत और नौ पन्नों का सुसाइड नोट तैयार किया, जिसमें उच्च अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। इस मामले में मृतक अधिकारी की पत्नी—आईएएस अमनीत पी. कुमार—ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। चंडीगढ़ पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया है और विशेष जांच टीम (SIT) का गठन भी किया जा रहा है।
पूरन कुमार के परिवार ने आरोपियों की त्वरित गिरफ्तारी, बेटियों की सुरक्षा और परिवार की गरिमा के संरक्षण की मांग की है। राज्य सरकार और पुलिस महकमे पर सामाजिक, प्रशासनिक और एससी आयोग के स्तर पर तगड़ा दबाव है कि न्यायिक प्रक्रिया तेज की जाए और पीड़ित परिवार को संतोषजनक न्याय मिले।
यह मामला न केवल जातीय और प्रशासनिक न्याय का, बल्कि पुलिस व्यवस्था में पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करने के नजरिए से भी देशभर में चर्चा का केंद्र बन गया है.
