हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) लगातार भारी बारिश की चपेट में है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले 24 घंटों के लिए प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में रेड अलर्ट जारी किया है। विभाग के अनुसार शिमला, सिरमौर और कांगड़ा जिलों में cloudburst जैसी घटनाओं की संभावना बनी हुई है। वहीं मंडी और हमीरपुर में भी 15 मिमी प्रति घंटे से अधिक की भारी बारिश (heavy rains) होने का अनुमान है।
ऊपरी हिमालयी इलाकों में landslides (भूस्खलन) और सड़कों के बंद होने की स्थिति से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। चंबा, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और अनावश्यक यात्रा से बचें।
लगातार हो रही बारिश ने प्रदेश में भारी तबाही मचाई है। अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग लापता बताए जा रहे हैं। सिरमौर और कांगड़ा जिलों में cloudburst की घटनाओं से कई घर पूरी तरह ढह गए हैं। हजारों लोग बेघर होकर अस्थायी राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। इन शिविरों में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भारी बारिश ने प्रदेश की बिजली और संचार व्यवस्था को भी प्रभावित किया है। कई स्थानों पर बिजली के खंभे गिर गए हैं, मोबाइल नेटवर्क बंद हो गया है और इंटरनेट कनेक्टिविटी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे राहत और बचाव कार्य में काफी मुश्किलें आ रही हैं।
हिमाचल सरकार ने प्रभावित जिलों में आपदा प्रबंधन दलों और NDRF टीमों को तैनात किया है। सेना और पुलिस के जवान लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं ताकि मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला जा सके और फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट केवल प्राकृतिक आपदा भर नहीं है, बल्कि हिमाचल प्रदेश की जलवायु संवेदनशीलता और अनियोजित विकास की चेतावनी भी है। पर्यावरणविदों ने आगाह किया है कि पहाड़ी इलाकों में अनियंत्रित निर्माण, जंगलों की कटाई और ग्लेशियर पिघलने की वजह से cloudburst और landslides जैसी आपदाएं और अधिक बढ़ सकती हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए विशेष निगरानी टीम बनाने के निर्देश दिए हैं।