रक्तदान को जनआंदोलन बनाने की ओर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान पंचकूला का प्रेरक प्रयास

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विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर पंचकूला स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने एक बार फिर सामाजिक सरोकार को प्राथमिकता देते हुए 14 जून 2025 को रक्तदान शिविर का सफल आयोजन किया। यह शिविर न केवल चिकित्सा और जनस्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि यह एक नैतिक आह्वान भी बनकर सामने आया, जिसमें मानवता की सेवा को व्यवहार में उतारा गया।

इस प्रेरणादायक आयोजन की अगुवाई संस्थान के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा ने की, जिनके मार्गदर्शन में रक्तदान जैसे गंभीर विषय को संस्थान के दायरे से निकालकर एक सामाजिक अभियान का स्वरूप दिया गया। शिविर का आयोजन होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, न्यू चंडीगढ़ के तकनीकी सहयोग से हुआ, जिसने इस आयोजन को वैज्ञानिकता और मानवीयता दोनों दृष्टिकोणों से सशक्त किया।

सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक आयोजित इस शिविर की गरिमा उस समय और बढ़ गई जब कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आयकर आयुक्त श्री अमनदीप सिंह ने रक्तदान को राष्ट्रसेवा का सर्वोच्च उदाहरण बताते हुए युवाओं और नागरिकों से इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने रक्त को केवल एक द्रव्य न मानते हुए उसे जीवन का वास्तविक वाहक करार दिया।

कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि रक्तदान वास्तव में जीवनदान है और यह उन रोगियों के लिए आशा की किरण है जो कैंसर, गंभीर सर्जरी या आपातकालीन स्थितियों में रक्त की कमी से जूझते हैं। उन्होंने नियमित रक्तदान की संस्कृति को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस शिविर में होमी भाभा कैंसर अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. हरमनजीत सिंह व उनकी टीम ने रक्त संग्रह प्रक्रिया को पूर्ण तकनीकी कुशलता के साथ संपन्न किया। वहीं, विश्वास फाउंडेशन के श्री मोहित विश्वास और उनकी टीम ने रक्तदाताओं के लिए रिफ्रेशमेंट व प्रमाण पत्र की व्यवस्था कर इस सेवा में मानवीय गरिमा का समावेश किया।

शिविर की संयोजिका डॉ. अंकिता नेगी के निर्देशन में लगभग 50 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। यह संख्या अपने आप में इस बात का संकेत है कि समाज अब स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर अधिक जागरूक और संवेदनशील हो रहा है।

यह आयोजन केवल एक शिविर नहीं था, यह एक सामाजिक संदेश था—जीवन बचाने के लिए किसी बड़ी व्यवस्था की नहीं, बल्कि एक छोटी सी प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। इस अवसर पर छात्र, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिकों की सहभागिता ने सिद्ध किया कि यदि संस्थाएं इच्छाशक्ति और दृष्टिकोण से काम करें तो जनचेतना को जनांदोलन में बदला जा सकता है।

“हर बूँद मायने रखती है, जीवन रक्षक बनें”—इस संदेश के साथ राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने न केवल रक्तदान को बढ़ावा दिया बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि चिकित्सा शिक्षा संस्थानों की सामाजिक जिम्मेदारी सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उनके परिसर से लेकर जनता के मन तक इसका विस्तार होना चाहिए।

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