हरियाणा के कृषि क्षेत्र को नई दिशा देने की दिशा में आज एक ऐतिहासिक पहल हुई जब राज्य के बागवानी विभाग और अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नयन की नीति को आगे बढ़ाने की एक मजबूत कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। यह करार मुख्य रूप से दक्षिणी हरियाणा के जिलों में आलू के ‘एरली जेनेरेशन सीड’ उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किया गया है, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता का रोगमुक्त बीज उपलब्ध हो सके और उनकी आय में ठोस वृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
इस अवसर पर हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा की उपस्थिति ने इस समझौते को विशेष महत्व प्रदान किया। कार्यक्रम में कृषि विभाग के प्रधान सचिव श्री पंकज अग्रवाल समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र के वैज्ञानिकों ने भी शिरकत की। समझौते के तहत सहयोग प्रधानमंत्री कृषि योजना–राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत प्रस्तावित है। इस परियोजना को केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए ₹4.48 करोड़ की स्वीकृति दे दी है, जबकि कुल परियोजना लागत ₹18.70 करोड़ है, जिसे अगले चार वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
राज्य सरकार की मंशा है कि दादरी, भिवानी, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी जैसे दक्षिण हरियाणा के जिलों में आलू बीज उत्पादन के क्षेत्र में नवाचार और आधुनिक तकनीक का समावेश कर किसानों को बेहतर विकल्प और अधिक आय के अवसर दिए जाएं। कृषि मंत्री श्री राणा ने स्पष्ट किया कि यह परियोजना हरियाणा को आलू बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इससे न केवल स्थानीय किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीज मिलेगा, बल्कि राज्य आलू बीज का निर्यातक भी बन सकेगा, जिससे अन्य राज्यों को भी लाभ मिलेगा।
इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए करनाल के शामगढ़ स्थित पो्टेटो टेक्नोलॉजी सेंटर (PTC) को प्रमुख केंद्र के रूप में चुना गया है। यहां एरोपोनिक्स यूनिट्स, एआरसी तकनीक और नियंत्रित वातावरण जैसी आधुनिक सुविधाएं पहले से ही मौजूद हैं। ये सुविधाएं इस परियोजना की सफलता की आधारशिला होंगी। अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र का तकनीकी सहयोग, अनुसंधान और क्षेत्रीय अनुभव हरियाणा की कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि इस एमओयू के माध्यम से किसानों को सिर्फ रोगमुक्त और जलवायु के अनुकूल बीज ही नहीं मिलेंगे, बल्कि उन्हें उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी भी दी जाएगी, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। किसानों को बाजार तक सीधा संपर्क, बेहतर मूल्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की दिशा में मार्गदर्शन भी मिलेगा। इससे उत्पादन और आय दोनों ही स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन होगा।
श्री राणा ने भरोसा जताया कि यह परियोजना न केवल हरियाणा के किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाएगी, बल्कि यह राज्य को आलू बीज उत्पादन के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी सहायक होगी। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों को भी गुणवत्तापूर्ण बीज की आपूर्ति संभव हो सकेगी। इससे हरियाणा को एक राष्ट्रीय बीज आपूर्ति केंद्र के रूप में पहचान मिलने की पूरी संभावना है।
राज्य सरकार के इस कदम को कृषि क्षेत्र में नवाचार, तकनीकी सहयोग और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है। यह न केवल किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ कृषि प्रणाली के निर्माण में भी योगदान देगा। ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन और मिट्टी की सेहत जैसे मुद्दे किसानों के सामने चुनौती बने हुए हैं, यह परियोजना उन्हें वैज्ञानिक और स्थायी समाधान उपलब्ध कराएगी। कृषि क्षेत्र को लेकर राज्य सरकार की यह सक्रियता और दूरदर्शिता निश्चित रूप से भविष्य की खेती को बेहतर दिशा प्रदान करेगी।
यह एक स्वचालित वेब-जनित समाचार वेब स्टोरी है।
#HaryanaAgriculture #PotatoSeedProduction #CIP #HaryanaMoU #AgricultureInnovation #RKVY #FarmersWelfare #SeedQuality #HorticultureDevelopment #KarnalPTC #Aeroponics #ShyamSinghRana #AgricultureMoU #SouthHaryanaFarming #SustainableFarming #FarmerIncomeGrowth #ClimateResilientSeeds #HaryanaNews #AgriTechIndia #SeedExportIndia