NEET 2025 का रिज़ल्ट जारी हो चुका है और अब देशभर में मेडिकल एडमिशन की काउंसलिंग का दौर शुरू हो रहा है। मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) के तहत 15% ऑल इंडिया कोटा सीटें, AIIMS, JIPMER, AMU, DU, ESIC और डीम्ड यूनिवर्सिटीज की सीटें भरी जाएंगी, जबकि 85% सीटों का आवंटन राज्यों की काउंसलिंग के जरिए होगा। यही 85% सीटें लाखों मेडिकल अभ्यर्थियों के लिए अपनी पसंद का सरकारी या प्राइवेट मेडिकल कॉलेज पाने का सुनहरा अवसर हैं।
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने देश के सभी 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए MBBS सीटों का निर्धारण किया है। आंकड़ों से साफ है कि जहां कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में MBBS सीटों की भरमार है, वहीं अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड जैसे छोटे राज्यों में सीटों की संख्या बेहद सीमित है।
सबसे कम सीटों वाले राज्यों की बात करें तो अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड में मात्र 100-100 MBBS सीटें हैं। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 114, सिक्किम में 150, चंडीगढ़ में 150, गोवा और मेघालय में 200-200 सीटें हैं। दादरा और नगर हवेली में 177 सीटें और मणिपुर में 390 सीटें हैं, जबकि त्रिपुरा में 400 सीटें उपलब्ध हैं। इन राज्यों में सीमित अवसर के कारण चयन केवल उच्चतम स्कोर वाले छात्रों को ही मिल पाता है।
मध्यम श्रेणी में आने वाले राज्यों में उत्तराखंड के पास 1,350, जम्मू और कश्मीर के पास 1,347, दिल्ली के पास 1,497, असम के पास 1,650, पंजाब के पास 1,850 और पुदुचेरी के पास 1,830 सीटें हैं। झारखंड के पास 1,055, हिमाचल प्रदेश के पास 920 और हरियाणा के पास 2,185 सीटें हैं। छत्तीसगढ़ 2,255 और ओडिशा 2,725 सीटों के साथ इस श्रेणी में आते हैं। बिहार में 2,995 MBBS सीटें उपलब्ध हैं, जहां प्रतिस्पर्धा काफी तेज होती है।
बड़ी संख्या में सीटें रखने वाले राज्यों में केरल के पास 4,905, पश्चिम बंगाल के पास 5,676 और मध्य प्रदेश के पास 5,200 सीटें हैं। राजस्थान 6,476, आंध्र प्रदेश 6,785 और गुजरात 7,250 सीटों के साथ शीर्ष समूह में शामिल हैं। तेलंगाना 9,065 सीटों के साथ पांचवें स्थान पर है, जबकि महाराष्ट्र 11,671 सीटों के साथ चौथे स्थान पर है।
शीर्ष तीन राज्यों में उत्तर प्रदेश 12,475 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर और तमिलनाडु 12,050 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर है। कर्नाटक 12,545 MBBS सीटों के साथ पूरे देश में पहले स्थान पर है। इन बड़े राज्यों में मेडिकल कॉलेजों का नेटवर्क मजबूत है, लेकिन उच्च संख्या के बावजूद यहां प्रतियोगिता बेहद सघन होती है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि NEET में अच्छा स्कोर पाने वाले उम्मीदवारों के लिए बड़े राज्यों में प्रवेश की संभावना अधिक है, जबकि छोटे राज्यों में सीमित सीटों के कारण केवल उच्चतम रैंक धारक ही चयनित हो पाते हैं। काउंसलिंग के इस दौर में सही रणनीति, राज्यवार सीटों की जानकारी और प्राथमिकताओं के आधार पर विकल्प चुनना ही सफलता की कुंजी है।
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