हरियाणा के बहुचर्चित प्रभुवाला हत्याकांड में दोषियों को अंतरिम ज़मानत, पीड़ित परिवार ने जताई सुरक्षा की चिंता

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हरियाणा के चर्चित प्रभुवाला ग्राम सामूहिक हत्याकांड में एक अहम कानूनी घटनाक्रम सामने आया है। वर्ष 2001 में हुए इस जघन्य हत्याकांड में दोषी ठहराए गए सोनिया और संजीव को अदालत की ओर से दो महीने की अंतरिम ज़मानत दी गई है। यह फैसला ऐसे समय आया है, जब पीड़ित परिवार ने आरोपियों की रिहाई को लेकर गंभीर आशंकाएं जताते हुए अपनी और अपने परिजनों की सुरक्षा की मांग उठाई है।

पीड़ित पक्ष से जुड़े रेलूराम पूनिया के भतीजे जितेंद्र ने बताया कि सोनिया और संजीव को पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर बाद में सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। अब दोनों दोषियों को दो महीने के लिए अंतरिम ज़मानत मिलने से परिवार में भय का माहौल है। जितेंद्र का कहना है कि जेल से बाहर आने के बाद आरोपी किसी बड़ी आपराधिक वारदात को अंजाम दे सकते हैं और उनके परिवार पर हमला होने का खतरा बना हुआ है।

जितेंद्र ने यह भी दावा किया कि हाल ही में उनके घर के आसपास हथियारों से लैस लोगों के साथ दो संदिग्ध गाड़ियां देखी गई थीं। उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद वे हिसार के पुलिस अधीक्षक से मिलकर सुरक्षा की मांग करेंगे और साथ ही सुप्रीम कोर्ट का रुख भी करेंगे। पीड़ित परिवार ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से भी सुरक्षा उपलब्ध कराने की अपील की है।

मामले के कानूनी पहलुओं पर जानकारी देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि प्रभुवाला ग्राम हत्याकांड 23 अगस्त 2001 को हुआ था। इस घटना में तत्कालीन विधायक रेलूराम की बेटी और दामाद सोनिया व संजीव पर रेलूराम, उनकी पत्नी सहित कुल आठ लोगों की निर्मम हत्या का आरोप सिद्ध हुआ था। इस केस की सुनवाई ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चली, जहां अंततः दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

अधिवक्ता के अनुसार, दोषियों ने बाद में दया याचिका दायर की थी, जिसे राष्ट्रपति स्तर पर खारिज कर दिया गया था। हालांकि दया याचिका के निस्तारण में हुई देरी को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में परिवर्तित कर दिया। इसके बावजूद, जेल में रहते हुए भी दोनों आरोपियों पर अनुशासनहीनता और अन्य आपराधिक गतिविधियों के आरोप लगे, जिनके चलते उनके खिलाफ अलग-अलग एफआईआर भी दर्ज की गई थीं।

वर्ष 2024 में सोनिया और संजीव ने हाईकोर्ट में समय से पहले रिहाई के लिए याचिका दायर की थी। इसी प्रक्रिया के तहत उन्हें फिलहाल दो महीने की अंतरिम ज़मानत दी गई है। अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि दो महीने की अवधि पूरी होने के बाद एक पांच सदस्यीय कमेटी यह तय करेगी कि दोनों को स्थायी रूप से रिहा किया जाए या नहीं।

उन्होंने यह भी कहा कि इस हत्याकांड को लेकर वर्ष 2001 में जिस तरह का जनआक्रोश देखने को मिला था, वैसा ही रोष आज भी लोगों के बीच मौजूद है। ऐसे में पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। फिलहाल, इस मामले को लेकर हरियाणा में एक बार फिर कानूनी और सामाजिक बहस तेज हो गई है।

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