शिमला में बिशप कॉटन स्कूल के तीन छात्रों के अचानक लापता होने से मचा हड़कंप रविवार को राहत में बदल गया, जब पुलिस ने महज़ 24 घंटे के भीतर तीनों बच्चों को सकुशल ढूंढ निकाला। यह घटना न केवल हिमाचल प्रदेश, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी सुर्खियों में रही, क्योंकि ये बच्चे अलग-अलग राज्यों से थे और प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। कोटखाई के चैथला इलाके से इन छात्रों को सुरक्षित बरामद करने के साथ ही पुलिस ने उस शख्स को भी गिरफ्तार किया, जिसने मोहाली निवासी एक छात्र के पिता को धमकी भरी कॉल की थी।
घटना शनिवार दोपहर की है, जब छठी कक्षा के छात्र हितेंद्र (कुल्लू), विदांश (करनाल, हरियाणा) और अंगद (मोहाली, पंजाब) स्कूल के आउटिंग डे पर माल रोड घूमने गए थे। स्कूल प्रशासन के मुताबिक, दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर उन्होंने आउट-पास लेकर बाहर जाने की अनुमति ली थी। नियम के अनुसार उन्हें शाम 5 बजे तक हॉस्टल वापस लौटना था, लेकिन वे तय समय पर नहीं पहुंचे। देर शाम तक भी उनकी कोई खबर न मिलने पर स्कूल ने तत्काल न्यू शिमला पुलिस को सूचना दी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 137बी के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कर लिया। एसपी शिमला के नेतृत्व में माल रोड, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन समेत शहर के सभी भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सघन तलाशी अभियान शुरू किया गया। सीसीटीवी फुटेज में तीनों बच्चों को माल रोड और शहर के अन्य हिस्सों में घूमते हुए देखा गया, जिससे उनकी संभावित दिशा का अंदाज़ा मिला।
पुलिस ने तकनीकी निगरानी और जमीनी खोजबीन का सहारा लेते हुए अगले ही दिन कोटखाई के चैथला इलाके में तीनों छात्रों को ढूंढ निकाला। एसपी और एएसपी ने बच्चों से व्यक्तिगत मुलाकात की और उनकी शारीरिक व मानसिक सुरक्षा की पुष्टि की। इस दौरान बच्चों ने पुलिस को प्रारंभिक बयान भी दिए, हालांकि विस्तृत पूछताछ अब भी जारी है।
इस पूरे घटनाक्रम में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब मोहाली के रहने वाले एक छात्र के पिता को धमकी भरा फोन आया। कॉल करने वाले ने आपत्तिजनक और डराने वाले शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे यह संदेह गहरा गया कि धमकी और बच्चों का लापता होना आपस में जुड़ा हो सकता है। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों और कॉल डिटेल्स के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह धमकी और बच्चों का गायब होना प्रत्यक्ष रूप से संबंधित हैं या नहीं। मामले की गहन जांच जारी है और पुलिस इस कड़ी को सुलझाने में जुटी है।
इस घटना ने एक बार फिर स्कूली बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था और आउटिंग नियमों की सख़्ती पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिमला जैसे पर्यटक शहर में, जहां रोजाना हज़ारों लोग आते-जाते हैं, नाबालिग छात्रों की सुरक्षा एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में न केवल स्कूल प्रशासन बल्कि अभिभावकों को भी सतर्कता बरतनी चाहिए। जीपीएस-आधारित ट्रैकिंग और तुरंत अलर्ट सिस्टम जैसे उपायों से बच्चों के ठिकाने का पता लगाना आसान हो सकता है।
पुलिस की तेज़ कार्रवाई और तत्परता ने इस मामले में संभावित खतरे को टाल दिया। फिलहाल तीनों बच्चे अपने-अपने परिवारों के संपर्क में हैं और सुरक्षित हैं। जांच पूरी होने के बाद ही यह सामने आ पाएगा कि यह मामला महज़ बच्चों का एडवेंचर था या इसके पीछे कोई गंभीर आपराधिक मंशा छिपी थी।
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