हरियाणा में किसान रजिस्ट्री (एग्रीस्टैक) के तहत 1.38 करोड़ किसानों का पंजीकरण ओटीपी-आधारित आधार प्रमाणीकरण प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। यह जानकारी वित्त आयुक्त, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग, डॉ. सुमिता मिश्रा ने उपायुक्तों, जिला राजस्व अधिकारियों और तहसीलदारों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किसान रजिस्ट्री (एग्रीस्टैक) और डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) की प्रगति की समीक्षा करते हुए दी।
समीक्षा के दौरान डॉ. मिश्रा ने उपायुक्तों को राजस्व और कृषि विभाग के साथ निकट समन्वय में गांव स्तर पर शिविर आयोजित कर विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए, ताकि क्रियान्वयन की गति तेज की जा सके। उन्होंने निर्देश दिया कि किसान रजिस्ट्री और डिजिटल फसल सर्वेक्षण—दोनों—फरवरी 2026 तक पूरे किए जाएं। उन्होंने कहा कि व्यापक कवरेज के लिए अधिकतम किसान सहभागिता और ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित जनसंपर्क अत्यंत आवश्यक है।
इस पहल को किसानों के लिए परिवर्तनकारी बताते हुए डॉ. मिश्रा ने कहा कि आधार ओटीपी-आधारित प्रमाणीकरण के माध्यम से 1.38 करोड़ फार्म आईडी बनाई जाएंगी, जिससे सटीकता, पारदर्शिता और लाभों की लक्षित आपूर्ति सुनिश्चित होगी। उन्होंने रेखांकित किया कि सटीक और समयबद्ध डेटा संग्रह से डिजिटल भूमि और फसल अभिलेख सुदृढ़ होंगे, कृषि योजनाओं का बेहतर लक्ष्यीकरण होगा और लाभों का कुशल एवं पारदर्शी वितरण संभव होगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिले में अतिरिक्त उपायुक्तों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो फील्ड स्तर की प्रगति की निगरानी और परिचालन मुद्दों का समाधान करेंगे, जबकि उपायुक्त अंतर-विभागीय समन्वय सुनिश्चित करने के लिए साप्ताहिक समीक्षा करेंगे।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पंजीकरण प्रक्रिया कल से तीन जिलों—अंबाला, पंचकूला और फरीदाबाद में शुरू होगी। समयबद्ध पूर्णता पर जोर देते हुए डॉ. मिश्रा ने कहा कि किसान रजिस्ट्री को सीधे पीएम-किसान योजना और अन्य लाभार्थी योजनाओं से जोड़ा जाएगा, इसलिए निर्धारित समय-सीमा में पंजीकरण लक्ष्यों को पूरा करना आवश्यक है।
फाइल प्रोसेसिंग में अनुशासन की आवश्यकता पर बल देते हुए डॉ. मिश्रा ने कहा कि पेपरलेस पंजीकरण मामलों को किसी भी परिस्थिति में दो बार से अधिक रिवर्ट नहीं किया जाना चाहिए। निर्णय प्रक्रिया को तेज करने के लिए रिवर्ट विंडो को पांच दिनों से घटाकर 48 घंटे कर दिया गया है। उपायुक्तों और जिला राजस्व अधिकारियों को अनुमोदनों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने और विलंब व प्रक्रियात्मक बाधाओं को दूर करने के लिए सख्ती से एफआईएफओ (फर्स्ट-इन, फर्स्ट-आउट) प्रणाली का पालन करने के निर्देश दिए गए।

