हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, जब एक कैबिनेट मंत्री पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के वरिष्ठ प्रोजेक्ट मैनेजर के साथ मारपीट के गंभीर आरोप लगे हैं। यह मामला न केवल एक सरकारी अधिकारी की सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि सत्ता के नशे में चूर नेताओं की कथित मनमानी और संवैधानिक मर्यादाओं की खुलेआम अनदेखी को भी उजागर करता है। घटना शिमला जिले के भट्टाकुफर इलाके की है, जहां हाल ही में एक पांच मंजिला भवन गिर गया था और इसी घटनास्थल पर पहुंचे शिमला ग्रामीण के विधायक और कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह पर कथित रूप से एक सरकारी अधिकारी को कमरे में ले जाकर पीटने का आरोप लगा है।
एनएचएआई के शिमला स्थित प्रोजेक्ट मैनेजर अचल जिंदल ने ढली थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि उन्हें एसडीएम कार्यालय की बैठक में बुलाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें और उनके साथी साइट इंजीनियर योगेश को सीधे भट्टाकुफर बुलाया गया, जहां मंत्री पहले से मौजूद थे। जब अधिकारी ने मंत्री को तकनीकी जानकारी दी कि गिरा हुआ भवन एनएच की सीमा से 30 मीटर दूर है और उस पर कार्रवाई सरकार की अधिसूचना के तहत ही की जा सकती है, तब मंत्री कथित रूप से आपा खो बैठे। अचल जिंदल का कहना है कि मंत्री ने पहले गाली-गलौज की और फिर एक कमरे में ले जाकर स्थानीय लोगों की मौजूदगी में उनके सिर पर पानी के मटके से वार किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं और सिर से खून बहने लगा। साइट इंजीनियर ने जब उन्हें बचाने की कोशिश की तो उसके साथ भी मारपीट की गई।
शिकायत में यह भी दर्ज है कि घटनास्थल पर एसडीएम और अन्य अधिकारी मौजूद थे, लेकिन किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया। घायल अधिकारियों ने किसी तरह मौके से भागकर खुद को IGMC पहुंचाया, जहां अब उनका इलाज चल रहा है। इस घटना की प्रतिलिपि एनएचएआई के क्षेत्रीय और केंद्रीय मुख्यालयों को भी भेज दी गई है, जबकि पुलिस ने BNS की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।
यह घटना तब और अधिक संवेदनशील हो गई, जब सेंट्रल इंजीनियरिंग सर्विस ऑफिसर एसोसिएशन ने इस पूरे मामले को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा और हस्तक्षेप की मांग की। वहीं, हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इस पूरी घटना को सरकार के नैतिक पतन और प्रशासनिक विफलता की मिसाल बताते हुए मुख्यमंत्री से तुरंत मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना को दबाने के लिए न केवल प्रशासन बल्कि मीडिया को भी धमकाया जा रहा है, ताकि खबरों को जनता तक न पहुंचने दिया जाए। उनके अनुसार यह केवल एक अधिकारी पर हमला नहीं बल्कि लोकतंत्र की मूल आत्मा पर हमला है।
यह मामला हिमाचल की राजनीतिक व्यवस्था के भीतर बढ़ती अराजकता और असंवेदनशील सत्ता संरचना की ओर इशारा करता है, जहां मंत्रियों की जवाबदेही कम और अहंकार अधिक दिखाई दे रहा है। एक ओर जहां प्रदेश सरकार अपने आप को पारदर्शी और उत्तरदायी बताने में लगी है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं बताती हैं कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे कुछ चेहरे कानून को अपने हाथ में लेने से नहीं हिचकिचा रहे।
सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा, कार्य स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करना किसी भी लोकतांत्रिक राज्य की बुनियादी जिम्मेदारी होती है। लेकिन जब एक मंत्री ही अफसर से मारपीट करे, और राज्य की मशीनरी चुपचाप तमाशा देखे, तो यह संकेत केवल प्रशासनिक ढांचे की विफलता नहीं बल्कि लोकतंत्र की गहरी टूटन है।
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